Ashadha Purnima 2025

Ashadha Purnima 2025: हिंदू धर्म में हर माह की पूर्णिमा तिथि को अत्यंत पावन और पुण्य माना जाता है, परंतु आषाढ़ मास की पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। यह पूर्णिमा न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से श्रेष्ठ मानी जाती है बल्कि यह पूर्णिमा गुरु पूर्णिमा और चातुर्मास की शुरुआत का भी संकेत लेकर आती है। जी हां, आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस पूर्णिमा का महत्व चातुर्मास शुरू होने की वजह से और ज्यादा बढ़ जाता है। वर्ष 2025 में यह पूर्णिमा 10 जुलाई 2025 के दिन बुधवार को पड़ रही है। गुरु पूर्णिमा अथवा आषाढ़ी पूर्णिमा भगवान विष्णु को समर्पित पूर्णिमा है इस दिन गुरु पूजन और चंद्र पूजन का विशेष महत्व माना जाता है।

10 जुलाई 2025 आषाढ़ी पूर्णिमा तिथि और मुहूर्त

जैसा कि हमने बताया वर्ष 2025 जुलाई के माह में 10 जुलाई 2025 के दिन पूर्णिमा की तिथि पड़ रही है। यह पूर्णिमा ज्योतिष अध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टि से बहुत ही शुभ मानी जा रही है । 10 जुलाई बुधवार के दिन यह पूर्णिमा आषाढ़ी पूर्णिमा और गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाई जाने वाली है। यह पूर्णिमा तिथि 10 जुलाई 2025 सुबह 8:32 से शुरू हो रही है और पूर्णिमा तिथि की समाप्ति 11 जुलाई 2025 सुबह 10:05 पर होने वाली है।

बात करें पूजा के उत्तम मुहुर्त की तो इस दिन शाम 6:30 बजे से रात 9:00 तक पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त माना जा रहा है। वहीं चंद्रमा को अर्घ देने के लिए रात 8:00 बजे से 9:30 बजे के बीच का मुहूर्त सर्वोत्तम माना जा रहा है। वे सभी लोग जो पूर्णिमा के दिन व्रत का पालन करते हैं वह व्रत का पारण 11 जुलाई 2025 सुबह 10:10 के बाद कभी भी कर सकते हैं।

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आषाढ़ी पूर्णिमा का धार्मिक महत्व

आषाढ़ मास की पूर्णिमा अत्यंत पुण्यकारी मानी जाती है। चातुर्मास व्रत की शुरुआत होने की वजह से इस पूर्णिमा को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। कहा जाता है कि इसी दिन से भगवान विष्णु योग निद्रा में प्रवेश करते हैं। ऐसे में ऋषियों संतो-साधकों के लिए यह एक विशेष ध्यान काल माना जाता है।

आषाढ़ी पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन गुरुओं की पूजा अर्चना की जाती है। इस दिन सत्यनारायण की कथा का भी विशेष महत्व माना जाता है  कुछ लोग इस दिन विशेष उपवास और दान व्रत का पालन भी करते हैं।

आषाढ़ी पूर्णिमा में पूजा विधि

आषाढ़ी पूर्णिमा अथवा गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह स्नान इत्यादि से निवृत होकर व्यक्ति तुलसी पूजन विष्णु पूजन इत्यादि कर सकता है। इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम और विष्णु स्त्रोत का पाठ करना काफी लाभकारी माना जाता है। पूर्णिमा के दिन व्रत करने वाले रात को चंद्रमा को अर्घ देकर चंद्र मंत्र का भी जब करते हैं।

इस दिन गुरु पूजन का भी विशेष महत्व होता है। ऐसे लोग जो दीक्षा ले चुके हैं अथवा किसी गुरु की आराधना करते हैं वह इस दिन गुरुओं के चरण स्पर्श कर श्रद्धा प्रकट कर सकते हैं। आषाढ़ी पूर्णिमा के दिन अन्न, वस्त्र, घी, दक्षिणा, भोजन इत्यादि का दान करना काफी फायदेमंद माना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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आषाढ़ी पूर्णिमा के दिन किए जाने वाले विशेष कार्य

10 जुलाई 2025 के दिन पूर्णिमा की विशेष तिथि पड़ रही है। इस दिन गायत्री मंत्र का जाप ,संतों की सेवा, चंद्रमा को जल अर्पण करना, व्रत रखकर सत्यनारायण की कथा सुनने के विशेष लाभ मिलते हैं। ऐसे लोग जिनकी कुंडली में चंद्र दोष है अथवा जो मानसिक रूप से काफी कष्ट झेल रहे हैं वह अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए इस दिन विशेष जब अर्चना कर सकते हैं।

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